Thursday, 28 February 2013

ऐ मेरे वतन के लोगों(1998)

"इस कविता को मैंने लता मंगेशकर जी के गीत (ऐ मेरे वतन के लोगों) को सुनते समय लिखा था इसीलिए इसकी लय उसी गीत पे है"




ऐ मेरे वतन के लोगों,
ज़रा आँख में भर लो पानी,
बहुत दिन आज़ाद रहे हम,
आने वाली फिर ग़ुलामी.

इतने गद्दार यहाँ पे,
वे हमपे राज कर रहे हैं,
वही लायेंगे बर्बादी-२,
भारत की होगी तबाही-२,
गर देश को है बचाना,
तो हो जाओ तैयार,
भले ही जान चली जाएँ-२,
ले लो गद्दार की जान-२.

ऐ मेरे वतन के लोगों,
ज़रा आँख में भर लो पानी,
बहुत दिन आज़ाद रहे हम,
आने वाली फिर ग़ुलामी.

गर देश की लाज है बचानी,
तो ऐसा करना पड़ेगा,
इक बार फिर से हमको-२,
इस मौत से लड़ना पड़ेगा-२,
मेरी बात को रखों याद,
होना होगा कुर्बान,
वर्ना इक दिन वो होगा-२,
भारत होगा गुमनाम-२.

मेरी बात को तुम मत टालों,
येही भारत का भविष्य है,
हमें इसको है बदलना,
     भले कितना काम कठिन है.

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